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महबूब।























एक रोज मेरे महबूब
ने मुझसे पूछा।
मेरे अलावा भी कोई
महबूब है क्या?
मैंने भी जवाब दे दिया,
हाँ, वो चाहती तो है मुझे
वो प्यार भी करती है,
मेरा खयाल भी रखती है,
मुझसे बातें भी करती है।
और मेरी 'वो' 
सिर्फ तुम हो।
मेरे महबूब सिर्फ तुम हो।

©नीतिश तिवारी।

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2 Comments

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (10-01-2018) को "आओ कुत्ता हो जायें और घर में रहें" चर्चामंच 2844 पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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